
मुंबई में हुए आतंकवादियों के हमले में घायल हुए एनएसजी के एक अफसर कैप्टन ए. के. सिंएनएसजी कैप्टन ए. के. सिंह ह को इस बात का अफसोस है कि वह गोली खाकर मर क्यों नहीं गए।
एनएसजी का यह जांबाज अधिकारी 27 नवम्बर को ओबेरॉय होटेल में आतंकवादियों से लोहा लेने के लिए घुसा था। उन्हें भनक लगी थी कि 18 वीं मंजिल पर एक कमरे में आतंकवादी हैं। एनएसजी के कमांडोज़ ने दरवाजे को विस्फोट से उड़ा दिया। लेकिन कैप्टन ए. के. सिंह कमरे के भीतर घुसकर कार्रवाई करने ही वाले थे कि आतंकवादियों ने ग्रेनेड फेंक दिया।
कैप्टन सिंह उस धमाके की चपेट में आ गए और पूरे शरीर पर छर्रे लगने के कारण वह बेहोश हो गए। उन्हें बॉम्बे अस्पताल लाया गया जहां उनके शरीर में धंसे छर्रे निकाल दिए गए। सिर्फ एक छर्रा नहीं निकल पाया जो बायीं आंख में चला गया था। मुंबई हमले से निपटने के लिए लगाए गए एनएसजी के कमांडो में से एक अधिकारी मेजर संदीप उन्नीकृष्णन शहीद हो गए जबकि घायल कैप्टन सिंह की अब कोई सुध लेने वाला नहीं है।
एनएसजी की टीम दिल्ली लौट गयी और कैप्टन सिंह अस्पताल में हैं। उनकी आंख से अब भी खून बह रहा है। उनकी आंख को इस कदर नुकसान पहुंचा है कि अब कोई दानदाता भी पुतली दे दे तब भी ठीक नहीं हो सकती। कैप्टन सिंह के एक मित्र ने बताया कि यह अधिकारी बेहतर इलाज चाहता है और वह सेना में वापस जाकर सेवाएं देने की इच्छा रखता है।
लेकिन उन्हें तसल्ली देने के लिए एनएसजी का भी कोई अधिकारी मौजूद नहीं है। उनके माता-पिता को सूझ नहीं रहा है कि वे करें तो क्या करें। सेना की जिस बटालियन से यह अधिकारी एनएसजी में आया था, उसके कमांडिंग आफिसर ने उनसे मुलाकात तक करना जरूरी नहीं समझा। एक अधिकारी के अनुसार जब इस मामले को सेना के शीर्ष अधिकारी की जानकारी में लाया गया तो उन्होंने कुछ मदद करने के बजाए यह हिदायतें जारी कर दीं कि वह मीडिया को इंटरव्यू न दें और कोई बयान भी जारी न करें।
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि मजबूत कद काठी के कैप्टन ए. के. सिंह ने एनएसजी में जाने की इच्छा जाहिर की थी और उन्हें इसी साल वहां भेजा गया था।
एनएसजी का यह जांबाज अधिकारी 27 नवम्बर को ओबेरॉय होटेल में आतंकवादियों से लोहा लेने के लिए घुसा था। उन्हें भनक लगी थी कि 18 वीं मंजिल पर एक कमरे में आतंकवादी हैं। एनएसजी के कमांडोज़ ने दरवाजे को विस्फोट से उड़ा दिया। लेकिन कैप्टन ए. के. सिंह कमरे के भीतर घुसकर कार्रवाई करने ही वाले थे कि आतंकवादियों ने ग्रेनेड फेंक दिया।
कैप्टन सिंह उस धमाके की चपेट में आ गए और पूरे शरीर पर छर्रे लगने के कारण वह बेहोश हो गए। उन्हें बॉम्बे अस्पताल लाया गया जहां उनके शरीर में धंसे छर्रे निकाल दिए गए। सिर्फ एक छर्रा नहीं निकल पाया जो बायीं आंख में चला गया था। मुंबई हमले से निपटने के लिए लगाए गए एनएसजी के कमांडो में से एक अधिकारी मेजर संदीप उन्नीकृष्णन शहीद हो गए जबकि घायल कैप्टन सिंह की अब कोई सुध लेने वाला नहीं है।
एनएसजी की टीम दिल्ली लौट गयी और कैप्टन सिंह अस्पताल में हैं। उनकी आंख से अब भी खून बह रहा है। उनकी आंख को इस कदर नुकसान पहुंचा है कि अब कोई दानदाता भी पुतली दे दे तब भी ठीक नहीं हो सकती। कैप्टन सिंह के एक मित्र ने बताया कि यह अधिकारी बेहतर इलाज चाहता है और वह सेना में वापस जाकर सेवाएं देने की इच्छा रखता है।
लेकिन उन्हें तसल्ली देने के लिए एनएसजी का भी कोई अधिकारी मौजूद नहीं है। उनके माता-पिता को सूझ नहीं रहा है कि वे करें तो क्या करें। सेना की जिस बटालियन से यह अधिकारी एनएसजी में आया था, उसके कमांडिंग आफिसर ने उनसे मुलाकात तक करना जरूरी नहीं समझा। एक अधिकारी के अनुसार जब इस मामले को सेना के शीर्ष अधिकारी की जानकारी में लाया गया तो उन्होंने कुछ मदद करने के बजाए यह हिदायतें जारी कर दीं कि वह मीडिया को इंटरव्यू न दें और कोई बयान भी जारी न करें।
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि मजबूत कद काठी के कैप्टन ए. के. सिंह ने एनएसजी में जाने की इच्छा जाहिर की थी और उन्हें इसी साल वहां भेजा गया था।
बहुत दुखद जानकारी दी है आपने। इस सरकारी तंत्र को तो डूब मरना चाहिए।जो अपने देश के सेनिक को पूरा इलाज नही दे पा रहे।
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ReplyDeleteविचित हूँ इस अभिव्यक्ति से
ReplyDeleteमुंबई में हुए आतंकवादियों के हमले में घायल हुए एनएसजी के एक अफसर कैप्टन ए. के. सिंएनएसजी कैप्टन ए. के. सिंह ह को इस बात का अफसोस है कि वह गोली खाकर मर क्यों नहीं गए।"
इस ब्लॉग पर बहुत दिनों से कुछ लिखा नहीं गया है ,कृपया लिखिए
ReplyDeletedukh huaa yah jankar...
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