खिन्न हूँ... जानता हूँ आप भी और हम सभी देशवासी. अब कुछ भी बोलने की हालत में नहीं हैं हम सब. मुंबई के घाव अभी-अभी मिले थे कि आसाम फ़िर से छलनी हो गया. मेरे देश को जो चाहे, जब चाहे, जैसे चाहे नोचता है, रगड़ता है, मसलता है, ताजा जख्मों पर नमक डालकर शरीर को लहरा देता है. एक आम आदमी इस दर्द को महसूस कर सकता है, लेकिन जिन पर देश कि जिम्मेदारी है या तो उनकी पैंट गीली हो गयी है या किंकर्तव्यमूढ़ हो गए है. अरे कायरों, कुछ तो समझो दुनिया के इशारे. सुनो क्या कहता है- बराक ओबामा? क्या कह रहे है दुनिया के बाकी नेता?
प्रत्येक देश को यह हक़ है कि वो अपने देश और देश-वासियों कि रक्षा करने के लिए आतंकियों को उनके बिल से खदेड़ कर मारे. ये तो जंग है बेवकूफों, अपनी धरती पे लडोगे तो यूँ ही मारे जाते रहेंगे भारत-वासी. जंग लड़ो - वहां जहाँ वे चूहे ट्रेनिंग लेते है. उड़ा दो उनके ट्रेनिंग कैंप. आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप उड़ने पर विश्व की ताकतें तो कुछ कहेंगी नही, शाबासी भले मिले कि आतंक की विश्वव्यापी जंग में एक और मर्द साथ आया. हाँ अगर तुम, अपने दामादों (अरब देशों) कि फिक्र कर रहे हो, तो अलग बात है.
लोकतंत्र है, मजबूरी है जनता की, कि चुने गए नाकाबिल लोगों को हटाने का कोई रास्ता संविधान ने नहीं दे रखा है अन्यथा लोग आज इतना मजबूर नहीं होते. अगले आम चुनावों का इन्तेजार करना मुश्किल है, तब तक पता नहीं कितने और मासूम मारे जायेंगे.
शायद इस देश को एक और जे.पी. की जरुरत है जो फ़िर से यह नारा बुलंद करे -
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है.
आज किसी भी राजनेता के चेहरे से जे.पी. की झलक तक नहीं मिलती, क्या कोई मसीहा अवतार लेने वाला है या अब हम सब अपनी-अपनी बारी का इन्तेजार करें. आसाम के बाद कहाँ ?
- अनुराग
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
ANURAG JI.
ReplyDeleteapki awaj janata ki awaj hai. bolate rahein..